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My Child Is Best

"99.6% क्यो तुम्हारे 99.9% marks क्यो नही आए, भाटिया जी के बेटे को देखो 99.9% result है। किसी काम के नही हो,कोई काम सलीके से नही कर सकते।" 

अनुज की मम्मी ये कहते हुए गुस्से से लाल थी। अनुज ओर भाटिया जी का बेटा एक ही school के एक ही class 7 मे थे।ओर आज उनके results आए थे।आखोँ मे आसू लिए अनुज सोच रहा था कि क्या 99.6% कम होते है ?
आजकल की शिक्षा प्रणाली ने बच्चो के शरीर पर बैग का बोझ बढा दिया है और माता पिता ने मन पर result का। हर माता पिता अपने बच्चे को सबसे आगे देखना चाहते है इस भावना मे कोई बुराई भी नही है पर रेगिस्तान से तपते, कठोर शुष्क किताबों ओर सिलेबस से जूझती नन्ही जान पर अपनी महत्वकांक्षो का बोझ मत डालिए। अपना समय याद किजिए यदि किसी बच्चे के 80% से ज्यादा marks भी आ जाए तो वो अपने माता पिता के लिए कलेक्टर बन जाता था कुछ तो सिर्फ पास हो जाने से ही जग जीत जाते थे।
ओर हम, हम 99%आने पर भी खुश नही है।
सख्त हाथो से भी छूट जाती है कभी कभी उगलियाँ, रिश्ते जोर से नही तमीज से थामने चाहिए।
 हर बच्चा अपने आप मे unique होता है। as a parent हमारी duty है की हम बच्चे को सवोत्तम की ओर अग्रसर करे, परन्तु ये सवोत्तम दूसरे बच्चो से तुलना मे नही,उसके खुद के गुणों मे सुधार लाकर ।उसकी गलतियो मे सुधार लाकर उन्हे दुबारा न करने का विश्वास जगाकर। उसे बाताए कि वो अपना best हमेशा दे चाहे exam school का हो या जीवन का। हमेशा अपने पे यकीन रखे।
सफल होने से ज्यादा आवश्यक  हैं कि सफलता के लिए कौन सा मार्ग अपनाया गया है  मार्ग का चयन marksheet के marks से ज्यादा आपके संस्कारो पर निभ्रर करेगा।
                                      बच्चों को मत रोको उडने दो उन्हे
                                      छू आने दो सितारो को
                                     कर सको तो इतना सिखाओ
                                     उन्हें कहाँ रूकना है कहाँ बहना है कितना बहना है
                                     सिखाओ उन्हें कि खिच सके खुद अपनी लक्ष्मण रेखाएं
                                     दिलाओ इतना यकीन
                                    थक हार कर वापस आने पर भी कुछ राहे हमेशा होगी हाजिर

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