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सबकुछ हारकर निर्भया जीत गयी।

इस ऐतिहासिक फैसले के लिए तालियाँ। संपूर्ण भारत को लगता है कि अब कभी भविष्य में ऐसा नहीं होगा। फैंसले 'होने के बाद' क्या होना चाहिए ये बताते हैं, काश फैसले 'होना रोकने के लिए' लिए जाते।
मुझे खुशी तब होती जब उस छोटे अपराधी को भी फांसी की सजा होती । मेरी नज़र में उसको फांसी की सजा सबसे पहले होनी चाहिए । वो जो नाबालिग की आड मे बच गया उसकी सजा का क्या ....जब तक वो ज़िन्दा है इंसाफ नहीं हो सकता ...
जो लड़का किसी लड़की के साथ इतना घिनोना कांड कर सकता है । किसी की मौत का कारण बन सकता है वो बच्चा कहाँ से रह गया । वो जुर्म करते हुए , वो बच्चा नही था लेकिन सजा के नाम पर बच्चा हो गया । पता नही हमारे देश का क़ानून कैसा है । ये फैसला ऐसे बच्चों का हौसला बढ़ाने के ही काम आएगा । हर बच्चा कानून की इस कमजोरी का फायदा उठाएगा और अपराध करेगा और बच्चा बन कर छूट जाएगा । एक को सजा बाकियों के लिए सबक बन सकता था । लेकिन नही हमारे देश की हमेशा से कमजोर नस रही है यहां का कानून जो इतने बड़े बड़े अपराधियों को या तो छोड़ देता है या सजा देने का फैंसला सालों साल लटका रहता है जिससे अपराधियों का क़ानून के लिए सारा डर ही निकल जाता है ।जिस दिन हमारे देश का क़ानून सुधर जाएगा ।देश से सारे अपराध खुद ही खत्म हो जाएंगे । 
न थापथपाओ अपनी पीठ.. ये मेरी नहीं तुम्हारी मर्जी है,ये हिन्दोस्तां वालों मेरा एक मुजरिम अब तुम्हारा दरजी है ।

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