कई सड़कछाप चेहरे जिनकी दहशत की वजह से लडकियां स्कूल, कालेज़ के रास्ते बदल बदल के जाया करती है । वे आवारा लड़के घर का पता न कर पाए इसलिए सहेलियों ,पड़ोसियों के घर घुस जाती है । ये लड़के खुद को लड़की द्वारा अस्वीकार किये जाने के बाद उन लड़कियों के प्रेम प्रसंग की मनगढ़ंत अफवाहें फैलाते है । ऐसा कई बार आपने भी निश्चित तौर पर देखा होगा । लड़कों को कई बार आपत्ति करते देखा है "ऐसा कुछ नही है लोगो का नज़रिया बदल चुका है " लेकिन ये कड़वा सच है बलात्कार पीड़ित तो दूर की बात है किसी लड़की ने लड़के के खिलाफ छेड़खानी की पुलिस रिपोर्ट भी कि तो लड़की के चरित्र पर पहले उंगलियां उठती है ।
कुछ ऐसी ही परिस्थितियों से रूबरू होने के बाद हरियाणा की रेवाड़ी के गोठड़ा टप्पा डहीना गांव में 13 स्कूली छात्राएं सात दिन से अनशन पर बैठी हैं. वे इस बात से नाराज़ हैं कि उनके लिए दसवीं के आगे की पढ़ाई की कोई सुविधा नहीं है. इसके लिए उन्हें ढाई-तीन किलोमीटर दूर एक स्कूल में जाना पड़ता है. उनका आरोप है कि रास्ते में उनसे अक़्सर छेड़खानी की जाती है.
उनकी केवल एक माँग है "धन-दौलत नहीं मांगते. एक बारहवीं तक का स्कूल मांगते हैं बस."
'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ के नारे का क्या मतलब है?'
अभिभावक कहते है
मेरा अपनी बच्चियों को पढ़ाने का मन नहीं है क्योंकि रास्ते में इनके साथ छेड़खानी होती है. लड़के कभी चुन्नी खींच लेते हैं, कभी कुछ और. ये दुबकती हुई जाती हैं. इस बार मैंने इन्हें इनकार कर दिया कि मैं तुम्हें पढ़ने नहीं भेजूंगी. पर ये पढ़ना चाहती हैं.'
छात्रा ने बताया, 'लड़के पीछे से बाइक पर नकाब पहनकर आते हैं, चुन्नी खींचते हैं. रास्ते में प्याऊ के मटके रखे होते हैं, हमें देखकर उन्हें फोड़ते हैं और हमारे ऊपर पानी गिराते हैं. दीवारों पर मोबाइल नंबर लिखकर चले जाते हैं. हर चीज़ तो बता नहीं सकते. लिमिट होती है.'
इतनी धूप में पैदल चलकर देखिए. सुनसान रास्ता है. फिर बीच में लड़के कमेंट पास करते हैं. हालांकि शिक्षा मंत्री ने गांव के स्कूल को बारहवीं तक अपग्रेड करवाने का वादा कर दिया है. लेकिन प्रदर्शनकारी इस पर लिखित में आश्वासन चाहते हैं,
'वादे हर साल होते हैं, एक भी पूरा नहीं हुआ. गारंटी दो.' इन छात्राओं के साथ उनके परिजन, गांव के लोग और सरपंच भी धरने पर बैठ गए हैं. इन सबकी मांग है कि गांव के स्कूल को अपग्रेड करके बारहवीं तक कर दिया जाए.
महिलाएं घरों से बाहर जॉब , कोर्स, व्यवसाय, अध्ययन करते हुए अपना अस्तित्व खंगाल रही है ।जीवन को बेहतर बनाने में स्वयं की भूमिका तलाश रही है, पलको पर सतरंगी ख्वाबो को झिलमिलाते अपने पंखों के हौसलें तौल रही है। किसी पुरुष के मनोरंजन या कुत्सित इरादों या कुंठा का शिकार होने के लिए नही । आप जितना सम्मान अपनी माँ, बहन या बेटी के लिए चाहते है उतना ही अन्य महिलाओं के लिए क्यू नही ?? अपने परिवार में बेटों को महिलाओं का सम्मान और बेटियों को आत्मसम्मान को चोट पहुँचाने वाले का मुखर और कड़ा विरोध करना सिखाये

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