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खुशियों की चाभी

मै अपनी बेटी को जब भी playschool छोडने या लेने जाती हूं वो aunty हमेशा school के सामने वाले घर के gate पे मुस्कुराते हुए बच्चो की हरकतों को निहारते मिलती।

चाँदी जैसे बाल,
दूध जैसा सफेद चेहरा।
चेहरे पे पडी झुरियां उम्र के दिनो की व्यथा बयां कर रही थी। 
हमेशा सोचती थी की बात करू, पर समय जो कभी हमारे पास होता ही नही है उसकी वजह से सभंव ही नही हो पा रहा था। फिर एक दिन school से ही पता चला की school उन्ही के घर पे बना है। ये जान कर उनके लिए आदर ओर बढ गया।
एक दिन कुछ काम की वजह से मैं school जल्दी पहुच गयी ओर उनसे बात करने का अवसर भी मिल गया। ओर बातो का सिलसिला चालू हुआ। दो नारियों की अनंत बातें। इन्ही बातो के दौरान पता चला की उनके दो बेटे ओर एक बेटी है। बेटे software engineer है और USA मे है। बेटी doctor है और Bangalore में है।सभी के दो बच्चे है। मैने कहा आपके पास तो एक भरा पूरा परिवार है फिर आप अकेले क्यो रहते है।
"भरा पूरा परिवार" ये कहकर वो खामोश हो जाती है।
कहने को तो भरा पूरा है पर देखने के लिए या बात करने के लिए कोई नही।
5साल पहले पती के देहांत पे बेटे आए थे 13 दिन के लिए ,
पहले फोन पे बात हो जाती थी अब उसके लिए भी बेटो के पास time नही है।
पहले बेटी साल में एक बार जरुर आती थी पिछले 2साल से उसके पास भी time नही है।
कोई भी इंसान अकेला नही रहना चाहता। पर अकेलापन जिसकी नियति हो उसके अकेलेपन को कोई भर भी नही सकता। अक्सर ये कह दिया जाता है की अकेला व्यक्ति अपने अंहकार, स्वार्थ,खराब कोध्री स्वभाव या किसी अन्य कमी के कराण दूसरों के साथ मिल कर रह नही पाता। परंतु सत्य तो यह है कि लोग स्वार्थ के कराण ही किसी से जुडते है ओर स्वार्थ पूरा होते ही अलग हो जाते है।
मैने पूछा आप का समय कैसे कटता है पहले बहुत ज्यादा दुःखी होती थी  भगवान से लड़ लेता थी फिर घर playschool के लिए दे दिया। छोटे छोटे बच्चो को देखकर जीने की ताकत मिल गई। फिर अहसास हुआ कि मै 68 साल की हू ओर मर भी नही रही हू।रोज सवेरे उठती हू,योग करती हू, playschool के नटखट बच्चो की हरकतों का आंनद लेती हू।ईश्वर की कृपा है कि मैं आज ऐसी हूँ, घूम सकती हूँ, चल सकती हूँ, अपनी मर्ज़ी के काम कर सकती हूँ क्योंकि मैं खुद से प्यार करती हूँ। आप अपने आप से प्यार करिये और फिर देखिये कि कैसे आप की ज़िन्दगी बदलती है। दिक्कत ये है कि ऐसा बहुत कम लोग कर पाते हैं, अक्सर लोग लोगों में उलझ जाते हैं, परेशानियों में उलझ जाते हैं। परेशानियों पर हमारा बस नहीं है, हमारा बस तो बस अपने आप पर है, आप के दुखों और खुशियों को चाबी आप के हाथ में है।
"16 की उम्र हो या 68की, खुश और संतुष्ट रहने का बस एक ही राज़ है और वो ये है कि आप खुद से प्यार करें। चाहे आप में लाख खामियां हों, चाहे आप लाख परेशां हों, चाहे ज़िन्दगी में जो भी हो रहा है, आप तय कर लें कि आप खुद से प्यार करते रहेंगे। जब तक आप खुद से प्यार करते रहेंगे, तब तक आप को खुश होने के भी रास्ते मिलते रहेंगे।"

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