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मातृत्व: मैटरनिटी फोटोशूट

आज सशक्त महिलाओं का अपनी गर्भावस्था पर गर्व करने का अपना अलग तरीका है. वो खुश हैं, वो प्रेगनेंसी इन्जॉय कर रही हैं, और फोटोशूट के माध्यम से अपनी खुशी का इजहार भी दुनिया के सामने कर रही हैं. अभी तस्वीर आई है अमेरिका से टेनिस सुपर स्टार सेरेना विलियम्स की. इस साल जनवरी में ऑस्ट्रेलियन ओपन जीतकर रिकॉर्ड 23वें ग्रैंड स्लैम पर कब्जा करने वाली सेरेना दो महीने से गर्भवती थीं। जब उन्होनें यह टाइटल जीता तब ये बात पता चली की वो प्रेग्नेंट थीं। जो अब 8 महीने की गर्भवती हैं और उन्होंने भी अपनी खुशी वैनिटी फेयर मैगज़ीन के लिए मैटरनिटी फोटोशूट करके जाहिर की है|
कोई ऐसा वैसा फोटोशूट नहीं 'न्यूड फोटोशूट'.
शायद सशक्त होने का ये एक और मापदंड होता जा रहा है. ठीक वैसे ही जैसे कुछ महिलाओं का मानना है कि वो जितने कम कपड़े पहनेंगी उतने ही ज्यादा इंडिपेंडेंट या सशक्त नजर आएंगी. हो सकता है मेरी इस बात से बहुत सी महिलाएं सहमत न हों, लेकिन वास्तव में कपड़े आजकल सशक्त होने का बेहद आसान और सिंपल सा जरिया बन गए हैं.  
माँ देशी हो या विदेशी सभी को गर्भावस्था में एक जैसे ही अनुभव होते हैं. बच्चे को लेकर खुशी भी और उसे 9 महीने गर्भ में पालने की तकलीफ भी. लेकिन दोनों तरफ अपनी खुशी को जाहिर करने के तरीके अलग अलग रहे हैं.
विदेशों में मैटरनिटी फोटोशूट कराने का चलन रहा है,
जबकि भारत में तो गर्भ को छिपाकर रखने का चलन था. कहा जाता है कि लोगों की नजरों से जितना दूर रखो उतना अच्छा. 3 महीने तक किसी को बताना नही,पूणिर्मा आमावस देखकर घर से बाहर निकलना, कही कही  महिलाओं को 7वें महीने के बाद घर से बाहर भी निकलने नहीं दिया जाता. यहां तक कि बच्चा हो भी जाए तो उसे सवा महीने तक सोबर में ही रखा जाता है. और न जाने क्या क्या।
पर विदेशों में महिलाएं अपनी प्रेगनेंसी को छिपाकर नहीं रखतीं. खुलकर दिखाती हैं, कुछ कम तो कुछ ज्यादा ही खुलकर. अब तक आपने कई सेलिब्रिटीज़ के मैटरनिटी फोटोशूट देखे ही होंगे. ये उनका कल्चर है. वो जो भी करें. एक फर्क और, अगर आप सेलिब्रिटी हैं तो कपड़े आपकी कीमत बताते हैं. साफ शब्दों में कहें तो सेरेना विलियम्स अगर घर में होतीं या खुद के लिए फोटोशूट करातीं तो शायद उन्होंने कुछ कपड़े पहने होते, लेकिन वैनिटी फेयर के लिए न्यूड होने का मतलब प्रेगनेंसी की खुशी के साथ-साथ पैसा कमाना भी है. जाहिर है इस सशक्तिकरण के पीछे मोटा पैसा भी लिया होगा . यानी अपनी पहली प्रेगनेंसी से आप खुश तो बहुत हैं पर अगर थोड़े पैसे भी मिल जाएं तो खुशी और बढ़ जाती है.
पर एक माताओ का समूह और है भारत में जिन्हे प्रेगनेंसी में भी वो सारे काम करने पडते है जो नही करने चाहिए वो भी पैसे के लिए ही।क्योंकि जो कोख में पल रहा है जो घर में है उसे एक समय की रोटी भी नसीब नही होगी यदि वो काम न करे तो। उनके लिए कोई प्रतिबंध नही है अपितु यदि वो काम न कर पाये तो लोगो का कहना होता है नखरे है हमने भी तो बच्चों को जन्म दिया है।दो सच्चाई जिंदगी की...एक तरफ एक माँ का न हारने वाला हौसला, जो विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ना सिखाता है और दूसरी तरफ वो मजबूरी भी, इंसान से जो न करवा दे कम है
पर क्या मातृव पर भारी नहीं पड़ जाता ये पैसा ?
कुछ लाईन कही पढी थी।
कोख में मातृत्व बोझ, सर पर जरूरतें भारी है।मुफ़लिस जिंदगियों की हर हाल जंग जारी है।।
#WomenEmpowerment
#Feminism
#SerenaWilliams
यदि आपने भी किसी माँ का ऐसा अनुभव देखा है तो शेयर करे।

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