ज़िन्दगी में कुछ भी कभी हरपल नहीं रहता
जो आज साथ होता है तुम्हारे वो कल नहीं रहता।
जो आज साथ होता है तुम्हारे वो कल नहीं रहता।
मैं फ़िज़ूल रोया करता था लम्हों पे दशको पे
समझ आया अब की वक़्त खुद भी सदा प्रबल नहीं रहता।
समझ आया अब की वक़्त खुद भी सदा प्रबल नहीं रहता।
मरते हैं इसके भी पल जो बहते हैं इसकी धाराओ में
सदा को ठहरा हुआ कोई भी इसका पल नहीं रहता।
सदा को ठहरा हुआ कोई भी इसका पल नहीं रहता।
सिर्फ तू भंवर में है ये सोचना सरासर भूल है
इस दौर में ये झरना किसी के लिये कल-कल नहीं बहता।
इस दौर में ये झरना किसी के लिये कल-कल नहीं बहता।
इस दूध की धारा को मैंने पूजा भी दिए भी सिराये
पर जब से सागर में मिला फिर वो गंगाजल नहीं रहता।
पर जब से सागर में मिला फिर वो गंगाजल नहीं रहता।
कितना लालची हूँ की जिसके सजदे किये नवाज़ा भी
वो जब से खारा हुआ ठोकरों के भी काबिल नहीं रहता।
वो जब से खारा हुआ ठोकरों के भी काबिल नहीं रहता।
तुम्हे पता ही नहीं वक्त का दूसरा नाम ही जिंदगी है
यूँहीं तुम कहतें हो तुम्हारे पास ये किसीपल नहीं रहता।
यूँहीं तुम कहतें हो तुम्हारे पास ये किसीपल नहीं रहता।
दोस्त ! खुशियाँ होंती हैं सिर्फ रिश्तों में, सेहत में, सुकून में
बटुओं में तो किसी के भी कोई पैगम्बर नहीं रहता।
बटुओं में तो किसी के भी कोई पैगम्बर नहीं रहता।
ज़िन्दगी केवल मौत से मौत के सफ़र का नाम है
और बंजारों का कोर्इ् ठौर—ठिकाना उम्रभर नहीं रहता।
और बंजारों का कोर्इ् ठौर—ठिकाना उम्रभर नहीं रहता।
तू हाथों की लकीरों पे चला तो नदी जैसा भटकता रहा
तूने खुद को कभी नहीं खोजा तभी तू सफल नहीं रहता।
तूने खुद को कभी नहीं खोजा तभी तू सफल नहीं रहता।
और तू मुझे मसीहा मत समझ मैं खुद विफल हूँ हालातों से
हाँ मगर होंसला अब तक नहीं हरा वर्ना ये ग़ज़ल नहीं कहता।
हाँ मगर होंसला अब तक नहीं हरा वर्ना ये ग़ज़ल नहीं कहता।
ज़िन्दगी में कुछ भी कभी हरपल नहीं रहता
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