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न सफारी मे नजर आई न फरारी मे नजर आई जो खुशिया बच्पन के पुरानी साईकिल पर दोस्तो के साथ सवारी मे न जर आई


उम्र गुज़ार दी तिनका तिनका जिन घरौंदों को सजाने में 
दंगाईयो ने एक पल भी न सोचा उन्हें ढहाने में 
घर का चुल्हा जलता था जिसके आसरे
धुए राख का ढेर सजा है आज उन दुकानों में
फूंक कर बस्तियां अमन की चैन से वो घरो में सों गए
पुश्ते बीतेंगी अब उनके दिए जख्मो को सुखाने में
मंदिर मस्जिद तू जहाँ कहे चल मैं सर झुका दूँ
वो सख्श लौटा दे ,लगा रहता था घर भर को हंसाने में
देखते देखते हिन्दू मुस्लिम में बाँट दिया हाड मांस के लोगो को
इंसानों को नाकामयाब देखा शैतानों को हराने में
जिनकी अगुवाई में निकले दोनों तरफ के लोग झंडे लेकर
खबर नही वो रहनुमा लगे है धंधा अपना चमकाने में
मत फैलने दो नफरतो की धुंध फिजा में
मुद्दते रोती है बिलख बिलख इंसानियत को मनाने में
वक़्त है रोक लो शहर में दंगे की अफवाहों को
ज़माने गुजर जाते है एक दुसरे के आँसुओ को सुखाने में ..
उम्र गुज़ार दी तिनका तिनका जिन घरौंदों को सजाने में
जलजलो ने एक पल भी न सोचा उन्हें ढहाने में .



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