एक पेट भर हरी जमीं होगी, एक साँस भर खुला आसमाँ होगा। मेरे लिए भी खुदा ने आखिर, बनाया कोई तो आशियाँ होगा॥ एक मुट्ठीभर थमा वक्त होगा, एक लौ भर फिक्र का धुआँ होगा। सुकून भरे पल होंगे, कुछ यादें होंगी, मन दुबारा फिर जवाँ होगा ॥ एक गोद भर बिस्तर हो माँ जैसा और एक थपकी भर नींद मेरे उड़ते-तैरते ख्वाबों के लिए, कोई तो दोरंगा नीला मकाँ होगा॥ जहाँ आदमी आदमी को समझें, जहाँ हकीकत सुनने में अच्छी लगे जहाँ मुखोटे नहीं चेहरे दिखें, जहाँ सियासत का ना कोई निशाँ होगा ॥ खुदा ने अस्सी बरस देके भेजा, यहाँ लम्हों तक की फुर्सत नहीं है। मेहनत वहाँ भी होगी सही है मगर काम सिर्फ एक मेहमाँ होगा ॥ कुछ गहरी लंबी साँसें होगी, कुछ वक्त होगा कुछ जिंदगी भी कुछ हिम्मत होगी कुछ सोच होगी कुछ हौसलों का तूफाँ होगा ॥ ना दौलत होगी, ना लालच, ना वासना, ना डर, ना फिक्र होगी मेरा श्याम होगा एक बंसी होगी और सुरों का हँसी कारवाँ होगा ॥ जिसे कहते हैं सब खुदा अब खुदा ही जाने वो कहाँ होगा। एक पाक दिल होगा, एक पीर होगी, मेरा राम बस वहाँ होगा। एक पेट भर हरी जमीं होगी, एक साँस भर खुला आसमाँ होगा। मेरे लिए भी खुदा ने आख...