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.हर शख्स सलामती से लौटे अपने घरो को मौला
इंतज़ार करते है आँगन, घर में रहने वालो का
कोई किसी से बेवक्त बिछड़ ना जाए रहम करना
रिश्ते हिफाज़त में रखना जमीं पे रहने वालो का


अगर आम बोने से आम मिलते हैं,
और नीम बोने से नीम,
आओ लगाकर देखें फसल दुआ की
न कोई भूखा रहे, और न कोई यतीम


बात करने से, ही बात बनती है...
बात न करने से, बाते बनती हैं...

तारीफ हर कोई करे_____ ये कभी चाहा ही नहीं ।
कोई बुराई न करे_____ ये कोशिश जरुर की 

बदलने को हम भी बदल जाते ।
फिर अपने आप को क्या मुंह दिखाते ।।

ना किस्सों से और ना किश्तों से...
ये ज़िन्दगी बनती है कुछ रिश्तों से.

काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता,बात करना न सही , देखना तो नसीब होता..

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