जून जुलाई का महीना अपने आप में अलग ही होता है। मुझे बेसब्री से इंतजार होता है क्यो कि दो बच्चों की छुट्टियां माँ के लिए सजा से कम नही होती। खुल जाते हैं स्कूल और हम माओ का fix routine शुरु हो जाता है छोटे छोटे बच्चे सुबह से जागाकर , junior Horlicks पिलाकर school की तरफ भेज दिए जाते हैं। मासूम से बच्चे कातर(व्याकुलता) सी निगाहों से माँ को घूरते हुए किसी तरह बस में चढ़ा दिए जाते हैं ऐसा लगता है कि माँ को कह रहे हो "जा माँ जा कुछ घंटे जी ले अपनी जिंदगी" और कभी कभी पापा के साथ स्कूल बैग मेें dettol sanitizer लिए जो बच्चे के वजन के लगभग ही होता है स्कूल पहुँचा दिया जाते है।बच्चा पापा से आँखों में आंसू ले कर कहता है यहीं खड़े रहिएगा और पापा भी यकीं दिलाते हैं की हाँ यहाँ ही रहेंगे पढ़ के आओ तब मिलेंगे। शिक्षा में नये प्रतिमान स्थापित हो रहे हैं। कहीं "Dy Patil" के स्कूल की एसी बस चली जा रही है तो कहीं "Vk patil "की पुरानी वाली 1 नंबर कि बस जो कभी भी खराब हो जाती है। तेरी कमीज मेरी कमीज से सफ़ेद क्यों के आधार पर बच्चे पड़ोसियों के बच्चे से...
न जाने क्यों, बारिश की बूंदों में ठंडक होती है, हर आहट पे दिल पे दस्तक होती हैं चलने को चलते है हम हज़ार कदम पर मंजिल बस एक कदम दूर होती है This is my Poem collection,some written by me and some from my fav writers.