Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2011
मेरे बच्चों की हंसी कुलकुले मीना जैसे जैसे नग़्मा हो किसी झरने का जैसे दोशीज़ा के पायल की झनक जैसे कलियों के चटक़ने की सदा जैसे रफ्तार ए सबा जैसे खंदा हो सहर जैसे महबूब की उल्फत की नज़र इनकी मासूम हंसी एश अंगेज़ सुकून मुझको अता करती है मेरा हर दर्द मिटा देती है ग़म अफ़्कार भुला देती है मेरे बच्चों की हंसी !
तमन्ना ने तेरी होठों पे उंगली रख कर जैसे ही कहा “श्श्शश्श” सारे मेरे ख्वाब ठिठक कर रुक गए…
मानवता की देख हालत पत्थर-पत्थर रोता है जीवन में हर घटना के पीछे इक सदस्य छुपा होता है। आंसू और आहों का रिश्ता जब सिसकी से होता है गम का दरिया बहकर आंसू का सागर होता है कत्ल किसी का हुआ सड़क पर राजा महल में सोता है।