सवाल ये नहीं कि मंजिल कितनी दूर है;
सवाल ये भी नहीं कि जीवन के चौराहे पर निर्णय बड़ा गंभीर है ;
मंजिल नहीं आसान ये तर्क तो कायर लेते हैं;
लक्ष्य है जिनकी आँखों में उन्हें धूप छाँव फर्क नहीं देते हैं ;
कठिन निर्णय लेने में कदम केवल मौकापरश्तों के घबराते हैं ;
जिन्हें हैं सपनों का जूनून सवार वो डूबती नावं में भी तैर जाते हैं.
सवाल ये नहीं कि अंधरे कितने घने है;
सवाल ये भी नहीं कि उजाले की किरण अब कितने दूर है ;
रास्ता है काटो से भरा ये तर्क तो पंगु देते हैं;
रौशनी है जिनका इरादा वो एक चिंगरी से भी आग लगा लेते है
जिनको है सूरज बंनने की इच्छा वो अपना आकाश खुद बनाते हैं.
सवाल ये भी नहीं कि जीवन के चौराहे पर निर्णय बड़ा गंभीर है ;
मंजिल नहीं आसान ये तर्क तो कायर लेते हैं;
लक्ष्य है जिनकी आँखों में उन्हें धूप छाँव फर्क नहीं देते हैं ;
कठिन निर्णय लेने में कदम केवल मौकापरश्तों के घबराते हैं ;
जिन्हें हैं सपनों का जूनून सवार वो डूबती नावं में भी तैर जाते हैं.
सवाल ये नहीं कि अंधरे कितने घने है;
सवाल ये भी नहीं कि उजाले की किरण अब कितने दूर है ;
रास्ता है काटो से भरा ये तर्क तो पंगु देते हैं;
रौशनी है जिनका इरादा वो एक चिंगरी से भी आग लगा लेते है
जिनको है सूरज बंनने की इच्छा वो अपना आकाश खुद बनाते हैं.
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