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Showing posts from October, 2010
सवाल ये नहीं कि मंजिल कितनी दूर है; सवाल ये भी नहीं कि जीवन के चौराहे पर निर्णय बड़ा गंभीर है ; मंजिल नहीं आसान ये तर्क तो कायर लेते हैं; लक्ष्य है जिनकी आँखों में उन्हें धूप छाँव फर्क नहीं देते हैं ; कठिन निर्णय लेने में कदम केवल मौकापरश्तों के घबराते हैं ; जिन्हें हैं सपनों का जूनून सवार वो डूबती नावं में भी तैर जाते हैं. सवाल ये नहीं कि अंधरे कितने घने है; सवाल ये भी नहीं कि उजाले की किरण अब कितने दूर है ; रास्ता है काटो से भरा ये तर्क तो पंगु देते हैं; रौशनी है जिनका इरादा वो एक चिंगरी से भी आग लगा लेते है जिनको है सूरज बंनने की इच्छा वो अपना आकाश खुद बनाते हैं.
जो पत्थर हथोडी की चोट नहीं खाता वो न तो मंदिर में न किसी मस्जिद में जगह कभी पाता मुश्किलें तो जिंदगी कि तस्वीर का अनोखा रंग हैं बिना इस रंग को पाए अगर जीत भी गए तो भी जीत की तस्वीर में मज़ा नहीं आता. जो पानी उपर से नीचे नहीं आता वो न तो किसी की लिए अमृत होता न ज़हर बन पाता गिरना तो जिंदगी का एक कदम हैं बिना इस कदम को रखे आकाश छूने का मज़ा भी नहीं आता