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Showing posts from September, 2010

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एक चने ने ठान लिया तो दिया भाड़ भी फोड़, ... कुछ करने की इच्छा है तो खुद को ज़रा झिंझोड़ /~~ ...जिनने तेरे सतमाहे सपनों की हत्या की है, उनकी कर पहचान जरा तू, उनकी बाँह मरोड़। /~~ सूरज, चाँद, सितारे-सारे तेरे भी होंगे, अपने दोनों हाथों में ले कर आकाश निचोड़।/ ~~ माना पथ कँकरीला है, मौसम भी रूठा सा है, फिर भी मंजिल पा लेगा तू, छोड़- हताशा छोड़.~~

Gopal Das Neeraj

छिप छिप अश्रु बहाने वालो मोती व्यर्थ लुटाने वालो कुछ सपनो के मर जाने से जीवन नही मरा करता है सपना क्या है, नयन सेज पर सोया हुआ आंख का पानी और टूटना है उसका ज्यों जागे कच्ची नींद जवानी गीली उमर बनाने वालो डूबे बिना नहाने वालो कुछ पानी के बह जाने से सावन नही मरा करता है माला बिखर गई तो क्या खुद ही हल हो गई समस्या आँसू ग़र नीलाम हुए तो समझो पूरी हुई तपस्या रूठे दिवस मनाने वालो फटी कमीज़ सिलाने वालो कुछ दीपों के बुझ जाने से आंगन नही मरा करता है खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर के़वल जिल्द बदलती पोथी जैसे रात उतार चांदनी पहने सुबह धूप की धोती वस्त्र बदलकर आने वालो चाल बदलकर जाने वालो चंद खिलौनों के खोने से बचपन नही मरा करता है लाखों बार गगरियां फूटीं शि़क़न न आई पर पनघट पर लाखों बार कश्तियां डूबीं चहल पहल वोही है तट पर तम की उम्र बढाने वालो लौ की आयु घटाने वालो लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नही मरा करता है लूट लिया माली ने उपवन लुटी न लेकिन गंध फूल की तूफानों तक ने छेड़ा पर खिड़की बंद न हुई धूल की नफरत गले लगाने वालो सब पर धूल उडाने वालो कुछ मुखडों क...

My fav Lines

Most of the shadows of this life are caused by our standing in our own sunshine. Ralph Waldo Emerson आज आखिर परेशान होकर पूछ ही लिया कैसे भगवन हो मुश्किलों में अकेला छोड़ चले जाते हो खुदा ने फ़रमाया हर किसी के साथ हर समय तो नहीं रह सकता हूँ इसिलिये कभी खुद आ जाता हूँ कभी अपनी बन्दों के रूप में रहमत भेज देता हूँ  इतिहास से आज मै पूछ बैठा; उपरवाले ने हर एक को वही हाथ वही पैर दिए; वही थोड़ी सी बुद्धि वही चलने के सलीके दिए ; वही कुछ कर गुजरने के बारूद के ढेर भी मन में भर दिए ; फिर भी तुम्हारी जुबां पर कुछ ही लोगों का नाम पता क्यूँ होता है ; क्यूँ चंद नामों का ही नाम तुम्हारी किताबों में बयां होता है ; तुम क्यूँ हर नाम का जोखा नहीं बताते; ऐसा पछ्पात करते क्यूँ नहीं सकुचाते; इतिहास से आज मै पूछ बैठा. इतिहास थोडा मुस्कुराया; अपनी नयी किताब एक पन्ना पलट कर फ़रमाया; कोई शक नहीं वही बुद्धि और कर गुजरने के बारूद के ढेर सभी को मिलें हैं ; बस फर्क सिर्फ इतना है कोई उसपर आंसुओं का पानी डालकर गलने देता है; कोई उम्मीद ...