कद में छोटी बाते बड़ी मेरी बेटी बिस्तर हैं पूरा खाली पापा के सर पे फिर भी हैं लेती मेरी बेटी खाना खुद का गीरा देती पर पापा के लिए खिलोंनो के बर्तन में खाना बनाती मेरी बेटी मेरी बेटी शैतानियत करके घर के कोने में छुप जाती में मनाने जाऊ , खुद पापा को डाट देती मेरी बेटी पापा के कंधों पे बैठकर खुद को स्ट्रोंग कहती मेरी बेटी एक दिन पापा के उन्ही कंधों के डोली में छूप जाएगी और चली जाएगी मेरी बेटी और पापा फिर उन्ही खिलोनो में घर के कोनो में उसी कागज में ढूंढेंगे ….अकेले अपनी बेटी कहीं से शायद वह मुझे वापस डाट दे मेरी बेटी …मेरी बेटी
न जाने क्यों, बारिश की बूंदों में ठंडक होती है, हर आहट पे दिल पे दस्तक होती हैं चलने को चलते है हम हज़ार कदम पर मंजिल बस एक कदम दूर होती है This is my Poem collection,some written by me and some from my fav writers.