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Showing posts from April, 2012

स्वप्न देखा नहीं जाता महसूस किया जाता है

क्यूँकी राह में धूप तो होगी स्वप्न देखा नहीं जाता महसूस किया जाता है इसमें शब्दों का खेल नहीं वरन रक्त और पसीने का मेल किया जाता है  ऐसा वक़्त भी आता है जब गिरने पर दर्द को भी दर्द का भान नहीं होता कई बार हारने पर भी जीत की उम्मीद छूटने का ज्ञान नहीं होता  मौत खडी हो लक्ष्य के दरमियाँ फिर भी सांस नहीं रूकती परिस्थितियाँ कहते थक जाएँ पर 'एक बार फिर' कोशिश  करने की प्यास नहीं बुझती  और तुम कहते हो की हम रुक जाएं क्यूँकी राह में धूप तो होगी  स्वप्न महसूस करना कोई जज्बात की बात नहीं ये तो खुद की खुद से जंग है कायरों को मिलने वाली सस्ती सौगात नहीं  व्यापार  में लाभ हानि तो व्यापारी  देखते  हैं  सपनों के लिए लड़ने वालों को व्यापरी के तराजू में नहीं तौलते हैं  धूप छाँव क्या चीज़ है ये तो सूरज के अस्तितिव को भी नहीं पूजते है  जो अपने स्वप्न के लिए जीते हैं वो जीवन का मृत्यु को भी रीझते है और तुम कहते हो की हम रुक जाएं क्यूँकी राह में धूप तो होगी ...