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Showing posts from August, 2010
धरती से सावन की बूंदे मिलने जब भी आती है उसकी शिकायत करती है कुछ अपना दर्द सुनती है कुछ रिश्ते नये बनाती एहसास नया दे जाती है हर एक कली को फूल बाग को गुलशन कर जाती है चाहत नयी सी होती है अरमान नया दे जाती है कुछ खुशी के पल कुछ मुस्कान नयी दे जाती है धरती से सावन की बूंदे मिलने जब भी आती है उसकी शिकायत करती है कुछ अपना दर्द सुनती है सूखे खेतो से जब सौंधी सी खुश्बू आती है सुनी आँखो मे फिर से एक ख्वाब नया दे जाती है कही प्यार नया होता है कही जुदाई दे जाती है कही सावन के झूले कही बिरहा के गीत सुनाती है धरती से सावन की बूंदे मिलने जब भी आती है उसकी शिकायत करती है कुछ अपना दर्द सुनती है
खुशकिस्मत होते है वे लोग जिनके मां-बाप होते है पूछो उनसे - जो अनाथ होते है । यदि कोई खुदा है इस धरती पर तो वो मां -बाप ही है तुम चाहे जैसे भी हो वो तुम्हारे साथ होते है । कैसे तुम रोओगे ? किसी और के सामने आंशूं बहाने और पोछने वाले भी तो चाहिए जो जो तुम्हारे साथ होते है ।